वन हैं तो वशंज हैं : स्वामी चिदानन्द

उत्तराखंड(ऋषिकेेश),गुरुवार 21 मार्च 2024

परमार्थ निकेतन में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तत्वावधान में विश्व वानिकी दिवस के गुरुवार को तीन दिवसीय गंगा प्रहरी कॉनक्लेव का हुआ। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संदेश दिया कि वन हैं तो वशंज हैं। इसलिये पौधों का रोपण कर वैश्विक उत्सव मनाया जाये, क्योंकि यह हमारे और हमारे गृह के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

स्वामी चिदानन्द ने कहा कि आज का दिन पृथ्वी पर जीवन को जीवंत बनाए रखने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका के महत्व को दर्शाता है। यह दिन हमें प्रकृति से जुड़ने और जोड़ने का संदेश भी देता है। यह प्रकृति के साथ हमारे अंतर्संबंधों का स्मरण कराता है और हमें वनों की सुरम्यता, सुंदरता, समृद्धि और पारिस्थितिक मूल्यों का स्मरण कराता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में 250 गंगा प्रहरियों ने परमार्थ निकेतन से ही यह यात्रा शुरू की थी और आज लगभग 5000 गंगा प्रहरी हैं।

प्रहरी अर्थात पहरेदार जो स्वयं भी जागता है, दूसरों को भी जगाता है। स्वामी ने कहा कि आज विश्व वानिकी दिवस है और हमें मालूम होना चाहिये कि जंगल, नदी की मां है। जगंल हैं तो जीवन है। नदियां हैं तो दुनिया है, इसलिए हमें जंगलों का संरक्षण करने में योगदान देना होगा। उन्होंने कहा कि अब हम पार्टी पेडे़ देकर नहीं पेड़ देकर मनायेंगे। स्वामी ने जन्मदिवस और विवाह दिवस के अवसर पर पौधों के रोपण करने का संकल्प कराया।

त्रिनिदाद से आये स्वामी ब्रह्मस्वरूपानन्द ने बताया कि त्रिनिदाद में हमने एक नदी का नाम गंगा धारा रखा है। मारीशस में भी गंगा घाट, साउथ अफ्रीका में गंगा रानी हैं। इस प्रकार गंगा का प्रवाह और उनका सम्मान अनेक देशों में है। यह सब स्वामी जी का प्रभाव है। उन्होंने कहा कि जीवन, जल और जन्तु मानव सभ्यता के लिए बहुत महत्व रखते हैं। हमारी जितनी नदियां है उनका जल, स्वाद और आक्सीजन लेवल अलग-अलग है।

साध्वी भगवती सरस्वती ने मां गंगा के अविरल व निर्मल प्रवाह को बनाये रखने का संदेश देते हुए कहा कि हमें अपनी जीवन शैली को बदलना होगा। जिन चीजों का हम उपयोग कर रहे हैं, जो हम खरीद रहे हैं उसके बारे में जानना होगा। जो कल और कारखाने नदियों के तटों पर स्थित हैं, उसका कचरा नदियों में प्रवाहित तो नहीं हो रहा।

डॉ. रुचि बडोला ने कहा कि गंगा बेसिन के 11 राज्यों से आये हमारे गंगा प्रहरी – गंगा सहित अन्य सहायक नदियों के संरक्षक हैं। वे स्थानीय स्तर पर गंगा के संरक्षक हैं। एक स्वयंसेवक के रूप में गंगा सहित अन्य नदियों की अविरल और निर्मल धारा को बनाए रखते हुए जलीय जीवन के संरक्षण में महत्व पूर्ण योगदान प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा प्रहरी सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है।

गंगा प्रहरी कॉनक्लेव कार्यशाला को विवेक पंवार ने बताया कि कैसे वह पहाड़ों में लोगों को प्लास्टिक के उपयोग ना करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। साथ ही लोकल महिलाओं की आजीविका सुधार के विभिन्न कार्यक्रम भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर करवा रहे हैं। विक्की रॉय इंटरनेशनल फोटोग्राफर ने गंगा प्राणियों को यह कहकर प्रेरित किया कि जीवन में अगर कुछ ठान लो तो उसे पाया जा सकता है।

अवसर पर श्रीमती गीता गैरोला, डॉ. संध्या जोशी, डॉ. संगीता एंगोम और प्रशांत कुमार ने कार्यक्रम में आये प्रतिभागियों को संबोधित किया।

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