उज्जैन में धूमधाम से निकली भगवान महाकाल की राजसी सवारी

मध्य प्रदेश(उज्जैन),मंगलवार 26 नवंबर 2024

उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन मास में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार शाम को अंतिम राजसी सवारी निकाली गई। इस दौरान अवंतिकानाथ ने चांदी की पालकी में सवार होकर नगर का भ्रमण किया और अपनी प्रजा का हाल जाना। सवारी के दौरान भगवान महाकाल ने मनमहेश और चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए।

महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि श्रावण-भाद्रपद माह की तरह महाकाल की ‎‎कार्तिक-अगहन माह में भी सवारियां निकालने की परंपरा है। सोमवार को भगवान महाकाल की राजसी निकाली गई। सवारी निकलने के पूर्व शाम करीब चार बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभामण्डप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन अर्चन किया गया। पूजन शासकीय पुजारी घनश्याम शर्मा द्वारा किया गया। पूजन में मन्दिर प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा, मन्दिर प्रशासक गणेश धाकड़ सहित गणमान्यजन, पूजारी गण, पुरोहित गण आदि सम्मिलित हुए। इसके बाद भगवान चंद्रमौलेश्वर को रजत पालकी में ‎विराजमान करवाया गया।

विधिवत पूजन-अर्चन के बाद सभामडप से भगवान महाकाल की सवारी राजसी ठाट-बाट के साथ रवाना हुई। सवारी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, पालकी में विराजित भगवान को पुलिस के जवानों द्वारा सलामी दी गई। तत्पश्चात भगवान महाकालेश्वर अपनी प्रजा का हाल जानने भ्रमण पर निकले। इस दौरान भगवान महाकाल के मनमहेश और चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। सवारी में पुलिस बल, सशस्त्र पुलिस जवान, पुलिस बैंड, पुलिस के घुड़सवार दल, पंडे-पुजारी व भक्त शामिल रहे।

सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शाम करीब छह बजे रामघाट पहुंची, जहां जीवनदयिनी मां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक- पूजन किया गया। अंतिम राजसी सवारी होने के कारण महाकाल के दर्शन करने के लिए ज्यादा भीड़ रामघाट क्षेत्र में रही। हजारों श्रद्धालुओं ने घाट किनारे खड़े होकर भगवान महाकाल के दर्शन लाभ लिया। रामघाट क्षेत्र में कई बार सवारी के बीच में श्रद्धालु प्रवेश कर प्रतिमा तक पहुंच गए थे। श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाकर भगवान महाकाल का उद्घोष किया। पूजन-अर्चन के पश्चात भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्‍यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।

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